The sky of the chest

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हृदय आकाश : छत से दिखता है, शहर सफेद रूमाल सा फैला हुआ है, उसपर यह नीला रुमाल का हवा में हिलता, खुद उड़ने को झटपटाता गुंबज यहाँ कौन नहीं उड़ता दिखता है, कभी तुकाराम तो यहाँ मेनका, पौराणिक विमान तो मोहम्मद का घोड़ा. यह जो हवा का ज़ोर है, सैगल का गाना है, गाने भर तक सब उड़ते रहेंगे, फिर..