Prototypes

From PhalkeFactory

2104. संसद भवन को जाती, दोपहर की धूप में तपती चिकनी सड़क छोड़ कर पैर उसके किनारे की रेत पर पड़ता है, तो सॅंडल के पार एक प्रत्याशा का तार बदन में बजता है, क्षण भर साँस फूल जाती है: आगे अंदर को जाता द्वार है, शादी के मंडप सा अस्थाई द्वार.फैले हुवे सचिवालया के विस्तार से वो वैसा ही रिश्ता रखता है, जो कि रेत उस जमी हुई सड़क से..वैसे ही भटक कर कुछ पाने की प्रत्याशा तन छूती , तानपूरा पुनः उठता है.




की एक छोर पर टेंट लगा है, बगल में टिकट की खिड़की का छोटा डब्बा सा टेंट. 25 रुपये टिकट. भक्त प्रहलाद, माया बाज़ार. कभी कभार सोशियल ड्रामा ..

पर आज क। शो स्वयं मंच है, गरम कदोपहर की तेज़ धूप में पेड़ सी मीठी बड़े टेंट की छाओं में रेत पर पड़ी प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठ कर देखन। है ।


पीठ के पीछे फ्लेक्स पर बने बड़े रंगीन किरदारों की एक क़तार है़। प्रह्लल।द, श्री र।म, म।य।वीं एवं क्रूर नेपाल नरेश, सबकी रंगीन विशाल फोटोएं सफ़ेद फलेकस पर फैलीं, हर रौशन किरण को पकड़ कर आँखो की गरमी बड़। रही थी । आँखें उस गरमी को छोड़ मंच की ओर आती रास्ते में दोनों तरफ़ से आगे बड़ती पूर्वजों की तस्वीरों के फलेकस हैं ।


मंच के दोनो ओर और फ्लेक्स उनपर पूर्वजों कीपुरानी तस्वीरें.. इस ड्रामा कंपनी के पूर्वज- पुरुष और महिलाएँ. एक ओर पुरुष, एक ओर महिलाएँ. और फिर उनके पार, हल्दी कुमकुम के रंगों से सजे मंच के दोनों मंच के दोनो और लगे दो स्तंभ ( ज्प वाकयी में प्लाई के दो फटटे हैं , जिनपर टिकी मंच की प्लाई की छतरी. हल्दी कुमकुम और गहरा हरा रंग, लेक कलर्स, जो कलकत्ता से बहरामपुर जाते हैं, और वहाँ से यहाँ लाए जाते हैं. पानी में घुल जाने वाले रंग, शांत, जो लेक- तालाब के ही जैसे गाड़े होते हैं, पर चमकते नहीं- जब महल की सज्जा इन रंगों से होती है, तो सोने से मेटल निकल जाता है, रह जाता है, एक मलमली सोने का आकर्षण , और उसपर सफेद रंग से डाला गया प्रतिबिम्बन. एक गहरे हरे खंबे' के बीचों बीच एक परदादा- परदादी की तस्वीर है, जिसे हार पहनाया गया है. तस्वीर के ऊपर छतरी का ताज- गहरे लेक से सुनहरे रंग से. खंबे के दोनों साइड पर भी वैसा हीTTt