Imagining the wiki city
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शहर को जाने के काई द्वार है-.. शहर के कोनों में कहीं चलते हुए अचानक एक गेट दिखता है, यह कहते हुए की यहाँ पर शहर ख़तम हुआ. तुम उसके यह कहते कहते तेज़ कदमों पर गेट पार कर जाते हो, ताकि गेट का वाक्य ख़तम होने से पहले ही तुम अपने को गेट के बाहर पाओ, उस पर पर बनी आकृतियों को देखते हुए. मन आँखों की नाँव पर चढ़ बैठकर उन बड़ी मच्चलियों के बीच भ्रमण करने लगता है, या सिंह द्वार पर, बुर्क़े के हुड से बाल लिए शेरो से आँख मिलाता है, नाँव से झुककर पत्थर के गजों की पीठ सहलाता है..
The mechanised being, his gate
the gate of those dreamers who trace, translate, repeat
footnote: a letter to italo