Imagining the wiki city

From PhalkeFactory

शहर को जाने के काई द्वार है-.. शहर के कोनों में कहीं चलते हुए अचानक एक गेट दिखता है, यह कहते हुए की यहाँ पर शहर ख़तम हुआ. तुम उसके यह कहते कहते तेज़ कदमों पर गेट पार कर जाते हो, ताकि गेट का वाक्य ख़तम होने से पहले ही तुम अपने को गेट के बाहर पाओ, गेट पर बनी आकृतियों को देखते हुए. मन रुक कर आँखों की नाँव पर चढ़ बैठता है. वो फैली हुई मछलियाँ जिनके लहराते आकार पर मछली गेट को अपना नाम मिला. वो ऊँचे शेर और उनके बुर्क़े के हुड से बालों की टोप, वो हाथी गेट के पथरीले गज. सो हमारे फाल्के की जीवनी के यून द्वार हों, शिल्पकारी से सजे.. एक उसके बचपन को जाता, उड़ान खटोले की यात्रा का रास्ता हो, तो एक, बीस बूढ़ी रानियों के वृतांत का रास्ता..एक गेट पर बस बीसवीं शताब्दी की टेक्नालाजी के सपने काढ़े हों, तो..



The gate of flight

The gate to the puranic story

The mechanised being, his gate

the gate of ages and ageing

The gate of alchemy

the gate of those dreamers who trace, translate, repeat

footnote: a letter to italo