Gouhar Jaan
http://archiveofindianmusic.org/by_name/ ड्रॉयिंग रूम के कोनों में गौहर बाई की आवाज़ बह बह लौट आ रही थी. सब अपनी अपनी कुर्सी पर चुप बैठे थे.. डाक्टर साहब के सीने से उस आवाज़ का टकराना उन्हें जाने किस बैचेनी में छोड़ गया.. गाना ख़तम होते ही वो लपक खड़े हुए और बालकनी की ओर और वापस सर हिलाते आने जाने लगे, जैसे की मंच पर हर डाक्टर हमेशा करता रहेगा. उनके लबों से फूट ही पड़ा
डॉक्टर: दुनिया तो तेज़ भाग ही रही है.. रेलगाड़ी पर बैठ कर देख लो, रेल गाड़ी छोड़ो, बाहर, बालकनी से बाहर चिमनी दिख रही है, शहर में खड़ा विशाल जहाज़ है यह, जिसके एंजिन रूम में एक एक आदमी फेफड़ों की एक एक केशिका बन, खेतों की मट्टी से सूत की सफेदी ढूँढ निकाल रहा है.. अरे इतनी बड़ी सेनाएँ जुटी पढ़ी हैं, कि पहाड़ भी रफ़्तार से टूटे..
सब चुप्प सुन रहे थे, कि आगे पत्ते पर ओस की कौन सी बूँद फूट पड़ेगी..डॉक्टर साहब का चित्त, बदन, दोनों बेचैन थे..
डॉक्टर: सुनो इस आवाज़ को..राग के पहाड़ियों पर, बारीकी से ऊँचाइयाँ छू, कैसे चंचल कदमों से फिर नयी पगडंडी से नीचे उतरती है..ओह! ग्रामाफोन के डब्बे से भागती इस आवाज़ में है इन जहाज़ो का रुतबा, उन ट्रानों की रफ़्तार, बारीक मशीनी चूड़ियों की खनक, हमारे आज की बेचैनी..
ड्रॉयिंग रूम में किसी एक को प्यार हो गया, गोई तड़प कर जवाब ढूँढने लगा, पर आवाज़ किसी की ना निकली. बस ग्रामाफोन की सुवी उस चुप्पी में शोर करती रही.
i seek the ruby honey in garnets, the milk of pearls entangled
in strings of juhi; mixed with the scents of
powder puffs and calamine;
i like sequins to edge my velvet doilies
in mirrored doubles;
i see
the yearning lakes of my
eyes in those mirrors and watch
my self mesmerised.
sometimes i seek those who know
about life and money
i know music i
wish this tongue to touch the beguiling honey in the eyes
of a young man with hair ruffled
by the wind coming in at the train window