Day 5

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ड्रामा के कलाकार का नया घर, उस घर के ड्राइंग रूम में उसकी छोटी बच्ची के खिलौनों के बीच एक पुरानी सुरपेटी

इन खिलौनों के प्लास्टिक, रबर, नयी लकड़ी या टेरी क्लॉथ - ये सब तो मेरे हम सफर हैं, मेरी दुनिया के बड़े हिस्सों पर विराजमान , शायद इसलिए तुम्हारी पुरानी लकड़ी पर रह रह कर नज़र जाती है.तुम किसी मट मैली नदी के किनारे डाले हुए पुराने घर की याद नहीं दिलाते ? कब कटी होगी ये लकड़ी, इन तिरछे १० -१२ टुकड़ों में, जिन्हें फिर लिटा कर उनपर दो पट्टियां फुर्ती से बिछा कर, उन पट्टियों को यूं अपनी जगह पर बाँध कर, इस बक्से के सामने का हिस्सा फ़टाफ़ट बन गया होगा. कौन सा पेड़ होगा वो, शायद कोई विशाल वृक्ष नहीं, कलाकारों की छोटी बस्ती के स्केल में, कोइ पेड़ रहा होगा काटने को तैयार, या लकड़ी के बड़े बाज़ारों में कुछ कम कीमत वाली लकड़ी रही होगी ये . ओ लकड़ी की पेटी, जो पाने पेट में हारमोनियम के सुरों को बैठाये है, देख कर तो तू बिलकुल मूक लगती है. तेरे आस पास का सारा प्लास्टिक रबर चुप होकर भी कितना शोर मचा रहा है. बतख ब्लू पिंक रेड ग्रीन रंगों के टायर के ऊपर से फांदी लगाने को तैयार बैठी है, नीला कोट डाले खरगोश, उसको तो एकदम चढ़ी हुई है, नीली उतावली आँखों वाली छोटी कार की बौखलाई हंसी उसके गिरे हुए दांतों का असर है. बड़े बड़े फूलों की फ्रॉक डाले, सर पर रबर की पगड़ी डाले गुड़िया अपने बगल में बैठे छोटे लाल भालू के कान में कुछ कह रही है . भालू उन फूलों के पीछे अपनी मुस्कान छिपाने की कोशिश में है, पर मुस्कान फिसल ही जा रही है और उसकी आँखों को चमका रही है . पीला तोता एक और पलटी खाये ज़मीन पर लेटा हुआ है तो उसके पीले गेरुए पंजे हवा में चीख नहीं रहे? सब बोल रहे हैं यहां पर, तुम्हारे सिवा. सच वृद्धों को शायद परिवार में नहीं रहना चाहिए. बच्चे तो फुदकते रहते हैं, उनसे कुछ कहो या नहीं. बूढ़े फिसलती नज़रों को अपनी वही पुरानी बातें रुक रुक कर सुनाते हुए, चुप भी पड जाते हैं , तुम्हारी तरह