Usha

From PhalkeFactory

M

दोपहर का आखरी घंटा है, बस कुछ समय में यह तेज़ रोशनी शांत हो जाएगी, सूरज का रथ आसमान में और ऊपर चढ़ने लगेगा. शहर में पुराने वाइट वाश मकानों का विस्तार है, खिड़कियाँ खुलने लगती हैं. इस गली में तो दोपहर भर क्रिकेट का गेम चला है. अब बल्लेबाज़ों के पार की खिड़की पर से एक सर निकलता है और ऊपर को देख तेज़ आवाज़ देता है: उषा? उषा?? और फिर घुंघराले बालों वाली, गोरी, चहरे पर लालिमा, ऊषा, नीचे को झाँकती है.

ऊषा का रंग गाय का, गौधुलि का लाल भूरा रंग होता है. ऊषा ब्रह्मा के वश से उड़ कर आसमान में एक लाल तरंग सी उड़ी थी . घुंघराले बालों वाली ऊषा, किसी बच्चे की नानी का नाम है. नानी का पेड़ सा सुंदर विस्तार है, बैठती है, तो भारी पाँव अपनी किसी मुद्रा में फैल जाते हैं और नानी के मोटे हाथ, उसकी जांघों पर पड़ उसे सहारा देते हैं. नानी के, सड़क पर भटकती लाल गाई से लाल, महेन्दी लगे बाल हैं, कनपटी पर रूखे सफेद बाल फूट पड़े हैं. नानी दूर से मज़ाक सुनती है, कुछ कहती नहीं, पर उसकी मुस्कुराहट फिसल उसके पुराने चहरे पर फैल उठती है. नानी के चहरे पर मेंढक से छीनट हैं. छोटे बढ़े भूरी पेन से बने निशान गीला सा चेहरा है नानी का. नानी का नाम ऊषा है.